
Pulwama Attack 14th February (Black Day) Four years ago, on February 14, 2019, a convoy of 78 vehicles was attacked on National Highway 44. This convoy was carrying over 2500 Indian security personnel from Jammu to Srinagar, killing 40 Indian CRPF personnel and many were injured.
शहीदों की याद में हरिओम पंवार की मार्मिक पंक्तियां 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳⚔️
कुछ बहनों की राखियां जल गई हैं बर्फीली घाटी में ,
वेदी के गठबन्धन खोये हैं कारगिल की माटी में ,
पर्वत पर कितने सिन्दूरी सपने दफन हुए होंगे ।
बीस बसंतों के मधुमासी जीवन हवन हुए होंगे , टूटी चूड़ी, धुला महावर,
रूठा कंगन हाथों का कोई मोल नहीं दे सकता ,
वासन्ती जज्बातों का जो पहले-पहले चुम्बन के बाद लाम पर चला गया ,
नई दुल्हन की सेज छोड़कर युद्ध-काम पर चला गया ,
उनको भी मीठी नीदों की करवट याद रही होगी ,
खुशबू में डूबी यादों की सलवट याद रही होगी,
उन आँखों की दो बूंदों से सातों सागर हारे हैं,
जब मेंहदी वाले हाथों ने मंगलसूत्र उतारे हैं,
गीली मेंहदी रोई होगी छुपकर घर के कोने में,
ताजा काजल छूटा होगा चुपके-चुपके रोने में ,
जब बेटे की अर्थी आई होगी सूने आँगन में ,
शायद दूध उतर आया हो बूढ़ी माँ के दामन में,
वो विधवा पूरी दुनिया का बोझा सिर ले सकती है,
जो अपने पति की अर्थी को भी कंधा दे सकती है, मैं ऐसी हर देवी के चरणों में शीश झुकाता हूँ,
इसीलिए मैं कविता को हथियार बनाकर गाता हूँ ,
जिन बेटों ने पर्वत काटे हैं, अपने नाखूनों से उनकी कोई मांग नहीं है ,
दिल्ली के कानूनों से जो सैनिक सीमा रेखा पर ध्रुव तारा बन जाता है,
उस कुर्बानी के दीपक से सूरज भी शरमाता है,
गर्म दहानों पर तोपों के जो सीने अड़ जाते हैं,
उनकी गाथा लिखने को अम्बर छोटे पड़ जाते हैं ,
उनके लिए हिमालय कंधा देने को झुक जाता है ,
कुछ पल सागर की लहरों का गर्जन रुक जाता है,
उस सैनिक के शव का दर्शन तीरथ-जैसा होता है,